वर्ण-विचार
जैसे फ़ूलों को धागे में पिरोने से फ़ूलमाला बनती है, ठीक वैसे ही वर्णों के व्यवस्थित समूह से वर्णमाला बनती है।
* वर्ण शब्द का अर्थ- रंग।
* हिन्दी के वर्ण देवनागरी लिपि में लिखे हैं।
* हिन्दी की वर्णमाला स्वर और व्यंजन से मिलकर बनी है।
* हिन्दी में कुल वर्णों की संख्या- ५२ है।
स्वर
*
दो से अधिक व्यंजन मिलकर यह व्यंजन बने हैं इसलिए इन्हें संयुक्त व्यंजन कहते हैं।
क्ष त्र ज्ञ श्र
(क्+ष्+अ) =कक्षा त्+र्+अ)=
मात्रा (ज्+ञ्+अ)=ज्ञान (श्+र्+अ)= आश्रम
नोट- द्वित्व व्यंजन- दो समान व्यंजन आपस में
जुड़ते हैं, उन्हें द्वित्व व्यंजन कहते हैं।
क्+क= क्क =(पक्का, सिक्का), च्+च= च्च
(बच्चा, सच्चा)
*अतिरिक्त
व्यंजन*
· ड़
(पेड़) और ढ़ (पढ़ाई)
* नोट- वर्ण के नीचे लगी बिंदी को ‘नुक्ता’
कहते हैं। यह अधिकतर उर्दू/फ़ारसी शब्दों में लगती है।
स्वर - 11
अयोगवाह स्वर - 2
व्यंजन - 33
अतिरिक्त व्यंजन – 2
संयुक्त व्यंजन - 4
----------
कुल वर्ण = 52
निष्कर्ष- इस पाठ द्वारा पाठकों को सिर्फ़ महत्वपूर्ण और सरल जानकारी दी जा रही है। आजकल समय की महत्वता को ध्यान में रखकर उतना ही पढ़ना और जानना जरुरी है जिसपर अधिक विचार किया जाता है। एक छात्र तथा किसी भी परीक्षा की तैयारी कर रहे अध्ययनकर्ताओं को कम शब्दों में दी जानेवाली यह जानकारी काम आएगी। आप को मेरा अभिप्राय और इस व्याकरण पाठ की जानकारी कैसे लगी कृपया कमेंट करके जरुर बताना। आपको किसी व्याकरण पाठ की परीक्षा हेतु सरल, महत्वपूर्ण और ट्रिकी नोटस द्वारा जानकारी प्राप्त करनी है तो जरुर कमेंट करें।
धन्यवाद