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वर्ण-विचार 9 NCERT (Varnmala ..Tricky Notes.)

                                                        वर्ण-विचार

जैसे फ़ूलों को धागे में पिरोने से फ़ूलमाला बनती है, ठीक वैसे ही वर्णों के व्यवस्थित समूह से वर्णमाला बनती है।

* वर्ण शब्द का अर्थ- रंग।

* हिन्दी के वर्ण देवनागरी लिपि में लिखे हैं।

* हिन्दी की वर्णमाला स्वर और व्यंजन से मिलकर बनी है।

* हिन्दी में कुल वर्णों की संख्या- ५२ है।

                                                                          स्वर

* स्वर भी वर्ण है जिनके उच्चारण में दूसरे वर्णों की सहायता नहीं लेनी पड़ती हैं, उन्हें स्वर कहते हैं। स्वर स्वतंत्र होते हैं।

* हिन्दी में स्वर ११ हैं।

* अ, आ, इ, ई, ऋ, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ =११

* स्वर को अलग करने पर शुद्ध स्वरों की संख्या १० होती है।

                                            अयोगवाह स्वर                                  
* अनुस्वार (-) और विसर्गा (:) को ही अयोगवाह स्वर कहते हैं।

* अं (अनुस्वार) और अ: (विसर्ग) 

* अनुनासिक (-ँ) स्वर - अँ है।

नोट- ‘ऑ’ आगत स्वर जो विदेशी शब्दों में प्रयोग होता है, जिसको वर्णमाला में गिना नहीं जाता।
        उदा. डॉक्टर, कॉलेज

                                                 * व्यंजन *  
* कंठ से निकली ध्वनि बिना मुँह के अवयवों को स्पर्श किए या रुके बाहर निकलती है, उसे व्यंजन कहते हैं।

नोट- कंठ से निकली ध्वनि जब मुँह के अलग-अलग अवयवों से स्पर्श करती है तब व्यंजनों के उच्चारण स्थान के अनुसार उनका वर्गीकरण किया है।

‘क’ वर्ग व्यंजन       -        क, ख, ग, घ, ड.                                        -------  स्पर्श व्यंजन                                     
                                      ( कंठ/ गले से निकलने वाले - कंठस्थ)

‘च’ वर्ग व्यंजन        -       च, छ, ज, झ,                                           -------- स्पर्श व्यंजन
                                       ( तालु/जीभ को स्पर्श - तालव्य)

‘ट’ वर्ग व्यंजन        -       ट, ठ, ड, ढ, ण                                            -------- स्पर्श व्यंजन
                                       (मूर्धा (जीभ का उपरी भाग) को स्पर्श- मूर्धन्य

‘त’ वर्ग व्यंजन        -       त, थ, द, ध, न                                            --------- स्पर्श व्यंजन

                                       (दाँत व जीभ को स्पर्श - दंत्य)

‘प’ वर्ग व्यंजन        -      प, फ़, ब, भ, म                                            -------- स्पर्श व्यंजन

                                     (ओठों को स्पर्श - ओष्ठ) 

                               -    य, र, ल, व                                                    -------- अंतस्थ व्यंजन

                               -   श, ष, स, ह    (मुँह में घर्षण या गरमाहट)         -------- (ऊष्म व्यंजन)

                                - ड., ञ, ण, न, म                   -             (नासिक्य या अनुनासिक व्यंजन) 

                                                                             -             जिनका उच्चारण स्थान नाक है।  


                                                                * संयुक्त व्यंजन * 
* दो से अधिक व्यंजन मिलकर यह व्यंजन बने हैं इसलिए इन्हें संयुक्त व्यंजन कहते हैं।

      क्ष                             त्र                          ज्ञ                       श्र
(क्+ष्+अ)                (त्+र्+अ)            (ज्+ञ्+अ)          (श्+र्+अ)
  

                                                                                    

* दो से अधिक व्यंजन मिलकर यह व्यंजन बने हैं इसलिए इन्हें संयुक्त व्यंजन कहते हैं।

           क्ष                                  त्र                          ज्ञ                              श्र

     (क्+ष्+अ) =कक्षा        त्+र्+अ)= मात्रा     (ज्+ञ्+अ)=ज्ञान        (श्+र्+अ)= आश्रम

नोट- द्वित्व व्यंजन- दो समान व्यंजन आपस में जुड़ते हैं, उन्हें द्वित्व व्यंजन कहते हैं।

        क्+क= क्क =(पक्का, सिक्का), च्+च= च्च (बच्चा, सच्चा)

                                                       

                                                                *अतिरिक्त व्यंजन*                    

·            ड़ (पेड़) और ढ़ (पढ़ाई)   

नोट- वर्ण के नीचे लगी बिंदी को ‘नुक्ता’ कहते हैं। यह अधिकतर उर्दू/फ़ारसी शब्दों में लगती है।

    

                                                                                                                   

                                                                                              स्वर                   -      11

                                                                                              अयोगवाह स्वर   -     2

                                                                                              व्यंजन                 -    33

                                                                                              अतिरिक्त व्यंजन  –    2

                                                                                              संयुक्त व्यंजन       -    4        

                                                                                                                       ----------

                                                                                                        कुल वर्ण =        52


निष्कर्ष- इस पाठ द्वारा पाठकों को सिर्फ़ महत्वपूर्ण और सरल जानकारी दी जा रही है। आजकल समय की महत्वता को ध्यान में रखकर उतना ही पढ़ना और जानना जरुरी है जिसपर अधिक विचार किया जाता है। एक छात्र तथा किसी भी परीक्षा की तैयारी कर रहे अध्ययनकर्ताओं को कम शब्दों में दी जानेवाली यह जानकारी काम आएगी। आप को मेरा अभिप्राय और इस व्याकरण पाठ की जानकारी कैसे लगी कृपया कमेंट करके जरुर बताना। आपको किसी व्याकरण पाठ की परीक्षा हेतु सरल, महत्वपूर्ण और ट्रिकी नोटस द्वारा जानकारी प्राप्त करनी है तो जरुर कमेंट करें। 

                                                                       धन्यवाद 

                                   

 


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